मानवाधिकार, लोकतंत्र एवं भारतीय संविधान
Dinkar Pathak
, Dr. Dinkar Tripathi
भारतीय संविधान मे मानवीय गरिमा, सामाजिक आर्थिक राजनैतिक पर्यावरण के विषय मे विशिष्ट प्रकृति तथा विशेष अवस्था का उल्लेख किया गया है। मानव मात्र के कल्याण व जीवन शैली नही अपितु समस्त प्राणी जगत साथ ही साथ चर अचर, सजीव निर्जीव तथा मूर्त अमूर्त सभी के अधिकारों, उसके व्यवस्थापन अवस्था तथा परिगमित पद्धति का उल्लेख किया गया है। इन मानवीय अधिकार दस्तावेजों मे मानव के प्रति व्यवहारिक अवस्था, उनके विकास के क्रम मे योग्यता, प्राप्ति की पद्धति तथा व्यवस्थापक स्वरुप का पूर्ण निर्वचन इस प्रकार से किया गया है की वे जीवन व मानवीय मूल्यों के अनरूप व्यव्यस्था व पद्धति का सृजन करे तथा पूर्व सृजित् प्रक्रम का पूर्ण अनुपालन करे। समाज मे शाशन, स्वास्थ्य, विधि, न्याय व समरसता का निरुपन भी सामंजस्य पूर्ण दिखायी पड़ता है। मानव मात्र ही नही समस्त चराचर जगत की अपनी गरिमा अपनी प्रतिष्ठा वा स्थान के प्रति एक अभिधारणा होती है। मानव का जन्म प्राकृतिक समाज में होता हैं, परन्तु वह जीवनपर्यंत अपने कुशलता गौरव वा अधिकार की प्राप्ति हेतु संघर्ष करता है ।ऐसे सामाजिक आर्थिक व राजनौतिक दस्तावेजों मे इसका उपागम व विभिन्न अवस्था का उल्लेख किया गया है मूलतः संविधान, मानव समाज व सर्वजगत मे दिग्दर्शक का मार्ग प्रशस्ति के माध्यम भी है।
"मानवाधिकार, लोकतंत्र एवं भारतीय संविधान", IJSDR - International Journal of Scientific Development and Research (www.IJSDR.org), ISSN:2455-2631, Vol.9, Issue 5, page no.274 - 278, May-2024, Available :https://ijsdr.org/papers/IJSDR2405035.pdf
Volume 9
Issue 5,
May-2024
Pages : 274 - 278
Paper Reg. ID: IJSDR_210373
Published Paper Id: IJSDR2405035
Downloads: 000347005
Research Area: Arts
Country: Dist. Pratapgarh, Uttar Pradesh, India
ISSN: 2455-2631 | IMPACT FACTOR: 9.15 Calculated By Google Scholar | ESTD YEAR: 2016
An International Scholarly Open Access Journal, Peer-Reviewed, Refereed Journal Impact Factor 9.15 Calculate by Google Scholar and Semantic Scholar | AI-Powered Research Tool, Multidisciplinary, Monthly, Multilanguage Journal Indexing in All Major Database & Metadata, Citation Generator
Publisher: IJSDR(IJ Publication) Janvi Wave